भगवद्गीता अध्याय 9: राजविद्या योग – श्लोक 1 से 34 (हिंदी अनुवाद व व्याख्या)

भगवद्गीता अध्याय 9: राजविद्या योग – श्लोक 1 से 34 (हिंदी अनुवाद व व्याख्या) श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 9 (राजविद्या राजगुह्य योग) श्लोक 1 से 34 तक – अनुवाद व सरल व्याख्या सहित परिचय: अध्याय 9 में भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति की महिमा को सबसे गोपनीय और श्रेष्ठ ज्ञान के रूप में बताया है। यह अध्याय सच्चे प्रेम से की गई भक्ति को सर्वोत्तम मार्ग बताता है। जो भी भक्त भावपूर्वक भगवान को स्मरण करता है, वह परम शांति को प्राप्त करता है। यहाँ सभी 34 श्लोकों का हिंदी अनुवाद और सरल व्याख्या दी गई है। --- श्लोक 1 श्रीभगवान बोले: इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे। ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥ हिंदी अनुवाद: श्रीभगवान ने कहा – हे अर्जुन! मैं तुझसे यह परम गुप्त ज्ञान और विज्ञान सहित ज्ञान कहता हूँ क्योंकि तू ईर्ष्या रहित है। इस ज्ञान को जानकर तू समस्त दुःखों से मुक्त हो जाएगा। सरल व्याख्या: भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि अब वे सबसे गूढ़ और पवित्र ज्ञान बताने जा रहे हैं जो सिर्फ उस व्यक्ति को दिया जाता है जो बिना ईर्ष्या वाला है। इस ज्ञान से व्यक्ति संसार के दुखों से मुक्त हो ...