श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा मंत्र व श्रीकृष्ण अष्टकम – संपूर्ण गाइड 2025
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा मंत्र व श्रीकृष्ण अष्टकम – संपूर्ण गाइड 2025
🪔 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर किन मंत्रों से करें पूजा? – पूजन विधि व श्रीकृष्ण अष्टकम
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🌸 परिचय
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण व्रत, पूजन, भजन और कीर्तन द्वारा श्रीकृष्ण को प्रसन्न करते हैं।
पूजा में मंत्रों का विशेष महत्व होता है--क्योंकि मंत्र के उच्चारण से भक्त और भगवान के बीच सीधा आध्यात्मिक संबंध स्थापित होता है।
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🕉️ जन्माष्टमी पूजन के प्रमुख मंत्र
यहाँ कुछ ऐसे मंत्र दिए गए हैं जो जन्माष्टमी पूजन में उच्चारित किए जाते हैं।
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🔹पूजा से पहले — संकल्प और ध्यानीय मंत्र
संस्कृत (संकल्प मंत्र का उदाहरण):
ममोपात्त-समस्त-दुरित-क्षयद्वारा श्रीकृष्ण प्रीत्यर्थं जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।
हिंदी अर्थ:
“मेरे द्वारा हुए (या मेरे ऊपर पड़े) सभी कष्टों का नाश हो, और श्रीकृष्ण प्रसन्न हों — इस भावना से मैं जन्माष्टमी व्रत कर रहा/रही हूँ।”
महत्व:
संकल्प मन को केंद्रित करता है — पूजा के लिए विचार और इरादा शुद्ध बनता है। 🧘♀️
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1️⃣ ध्यान मंत्र
श्लोक:
ॐ शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् ।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ॥
अर्थ:
जो शांत स्वरूप हैं, शेषनाग पर शयन करते हैं, जिनकी नाभि में कमल है, जो देवताओं के ईश्वर हैं, जो विश्व का आधार हैं, आकाश के समान अनंत और मेघ के समान श्यामवर्ण हैं — ऐसे प्रभु का मैं ध्यान करता हूँ।
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2️⃣ आवाहन मंत्र
श्लोक:
ॐ क्लीं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
अर्थ:
हे देवकीनंदन, हे वासुदेव, हे जगत्पति कृष्ण! मुझे कृपा करके अपना आशीर्वाद दीजिए।
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3️⃣ पूजा मंत्र
श्लोक:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
अर्थ:
भगवान वासुदेव (श्रीकृष्ण) को बार-बार नमन है।
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4️⃣ मोक्ष व वरदान हेतु मंत्र
श्लोक:
ॐ श्रीकृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय नमः ॥
अर्थ:
हे श्रीकृष्ण, गोविन्द, गोपीजन के प्रियतम! आपको मेरा सादर नमन।
🙏 महामन्त्र (हरे कृष्ण महामन्त्र — भक्तिमार्ग में प्रचलित)
संस्कृत/रोमन: हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हिंदी अर्थ (सार): भक्तिपूर्ण स्मरण का महामन्त्र; मन को शुद्ध करने और भाव-भक्ति को प्रबल करने वाला।
महत्व:
जप योग में अत्यंत प्रभावी; विशेषकर जन्माष्टमी की रात जागरण में जाप फलदायी माना जाता है। 🔔
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🔹मन्त्र विज्ञान — संक्षेप में (क्यों ये प्रभावी हैं)
ध्वनि का प्रभाव: प्रत्येक अक्षर का स्पंदन शरीर के सूक्ष्म-केंद्रों पर प्रभाव डालता है (उदा. ‘क्लीं’ में कम्पन हृदय-क्षेत्र में लगता है)।
नाम का भाव: नाम-स्मरण से मन का विक्षेप घटता है और मनो-चेतना संयमित होती है।
एकाग्रता: मन्त्र-जप से न्यूरो-साइंटिफिक स्थर पर भी ध्यान-सम्बन्धी बदलाव होते हैं (धीरे-धीरे मन-ताल मेल)।
नियतता: नियम से जप करने पर प्रभाव गुणात्मक (अनुभवी) बनता है। 🧿
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🔹विशेष निर्देश (ऊच्चारण, समय, संख्या)
निशीथ काल (मध्यरात्रि) को प्राथमिकता दें — जन्माष्टमी में निशीथ पूजन शुभफलदायी है। 🌙
जप की संख्या — 108, 1008 या कम से कम 11 बार (समय/सत्ता के अनुसार)।
मन में भक्ति रखकर उच्चारण करें — रूपांतर या लिपि-विसंगति से अधिक आवश्यक है भाव। ❤️
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📜 श्रीकृष्ण अष्टकम् (दूसरा भाग) — पूजा में विशेष पाठ
जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करने से पुण्य, भक्ति और जीवन में दिव्यता आती है। नीचे दिया गया भाग प्रत्येक श्लोक के साथ अनुवाद सहित है।
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1️⃣
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम् ।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं
अनङ्गरङ्गसागरं नमामि कृष्णनागरम् ॥ १ ॥
अर्थ:
व्रज के आभूषण, पापों के नाशक, भक्तों के हृदय में आनंद भरने वाले, नंद के पुत्र, सिर पर मोरपंख धारण करने वाले, हाथ में बांसुरी रखने वाले और प्रेमरस के सागर श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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2️⃣
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् ।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णावारणम् ॥ २ ॥
अर्थ:
कामदेव का गर्व तोड़ने वाले, बड़ी चंचल आँखों वाले, गोपों के दुःख हरने वाले, कोमल हाथों में गोवर्धन धारण करने वाले, मधुर मुस्कान से सुशोभित और इन्द्र का अहंकार चूर्ण करने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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3️⃣
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं
व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम् ।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम् ॥ ३ ॥
अर्थ:
कानों में कदंब फूल जैसे कुण्डल धारण करने वाले, सुंदर गालों वाले, व्रज की गोपियों के प्रियतम, यशोदा और नंद के साथ आनंद में रहने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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4️⃣
सदैव पादपङ्कजं मदीय मानसे निजं
दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम् ।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं
समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् ॥ ४ ॥
अर्थ:
मेरे हृदय में अपने चरणकमल को विराजमान करने वाले, मोतियों की माला धारण करने वाले, सभी दोषों का नाश करने वाले और सभी के रक्षक नंदलाल को प्रणाम।
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5️⃣
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् ।
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम् ॥ ५ ॥
अर्थ:
पृथ्वी का भार उतारने वाले, संसार-सागर से पार लगाने वाले, यशोदा के किशोर रूप, मोहक दृष्टि वाले, सदा मित्रों से घिरे रहने वाले और हर दिन नए रूप में आनंद देने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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6️⃣
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकारं कृपापरम्
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम् ।
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं
नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम् ॥ ६ ॥
अर्थ:
गुणों और सुख के भंडार, असीम कृपा वाले, असुरों का नाश करने वाले, नई-नई लीलाओं में रत, मेघ के समान श्यामवर्ण और बिजली जैसे चमकीले वस्त्र वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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7️⃣
समस्तगोपनन्दनं हृदम्बुजैकमोदनं
नमामि कुंजमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम् ।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं
रसालवेणुगायकं नमामि कुंजनायकम् ॥ ७ ॥
अर्थ:
सभी गोपों के प्रिय, हृदय कमल में आनंद भरने वाले, कुंजों में विराजमान, इच्छित फल देने वाले, प्रेमबाण जैसी दृष्टि वाले और मधुर बांसुरी वादन करने वाले श्रीकृष्ण को प्रणाम।
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8️⃣
विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं
नमामि कुंजकानने प्रव्रद्धवन्हिपायिनम् ।
किशोरकान्तिरंजितं दृगन्तजनं सुशोभितं
गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् ॥ ८ ॥
अर्थ:
गोपिकाओं के मन मोहने वाले, कुंजवन में निवास करने वाले, प्रेमाग्नि को शान्त करने वाले, किशोर अवस्था से सुशोभित और गजेन्द्र का उद्धार करने वाले श्रीविहारिण को प्रणाम।
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9️⃣
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् ।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥
अर्थ:
हर समय श्रीकृष्ण की कथा गाने की इच्छा रखने वाले, और इस अष्टकम का श्रद्धापूर्वक पाठ करने वाले व्यक्ति को नंदनंदन की भक्ति हर जन्म में प्राप्त होती है।
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(पूर्ण पाठ स्रोत्र: विकिस्रोत/स्तोत्रनिधि — श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतं श्रीकृष्णाष्टकम्)।
🔹अभ्यास-निर्देश (कैसे पढ़ें / कितनी बार)
समय: जन्माष्टमी की निशीथ (मध्यरात्रि) या प्रभातकाल। 🌙
संख्या: 1-9 बार, 3/7/11/108 के गुणक में जप कर सकते हैं — भक्त की क्षमता के अनुरूप।
ऊच्चारण: यथासम्भव शुद्ध उच्चारण का प्रयत्न करें; पर यदि न भाषागत दक्षता हो तो अर्थ समझकर और भक्ति भाव से पढ़ें — वह भी पूर्णत: फलदायी है। ❤️
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🔹संक्षेप-सूचना / स्रोत
स्रोत (संस्कृत-पाठ): श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतम् — श्रीकृष्णाष्टकम् (विकिस्रोत / स्तोत्रनिधि)।
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🌼 निष्कर्ष
जन्माष्टमी के दिन उपरोक्त मंत्रों और श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करने से पूजा पूर्ण फलदायी होती है। भक्ति में डूबकर, श्रद्धा से उच्चारण करना ही मंत्र-सिद्धि की कुंजी है।
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जन्माष्टमी 2025: पूजन विधि, कथा, व्रत और शुभ मुहूर्त
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Posted By: Manoj Dubey
Jai Shree Radhe Krishna Ji 🙏 Hey Prabhu Kripya Drashti Banaye Rakhana 🙏❤️
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar jaankari di hai 🙏
जवाब देंहटाएंDhanyawad Manoj Beta 🙏❤️👌🎊💞
जवाब देंहटाएंमंत्रों से सुसज्जित यह पोस्ट मन और आत्मा को आनंदित कर रही है। एक - एक मंत्र एकदम सटीक है। और कमाल का हिंदी अनुवाद किया है।
जवाब देंहटाएं🎇💐❤️🚩🪔🔔🕉️🙏
Beautiful Blogging Post 👌
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