श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक

 श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ – पूतना वध से लेकर मक्खन चोरी तक 🐚

बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ केवल चमत्कारिक घटनाएँ नहीं थीं, बल्कि उनमें गूढ़ आध्यात्मिक और नैतिक संदेश भी छिपे हुए हैं। ये लीलाएँ आज भी जनमानस को प्रेरणा देती हैं और भक्ति भाव को प्रगाढ़ करती हैं। प्रस्तुत है एक विस्तृत और शोधपूर्ण यात्रा उन प्रमुख बाल लीलाओं की, जिन्होंने कृष्ण को "बाल गोपाल" और "माखनचोर" का प्रिय नाम दिलाया।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


1️⃣ पूतना वध – बुराई के पहले नाश का संकेत ⚔️

कृष्ण जन्म के बाद कंस ने अनेक असुरों को गोकुल भेजा। पूतना नामक राक्षसी ने बालक कृष्ण को मारने के लिए उसे विषैले स्तनपान से मारने की योजना बनाई। वह सुंदर स्त्री का रूप धरकर नंद भवन पहुँची और बालक को गोद में लेकर स्तनपान कराने लगी। किंतु कृष्ण ने उसकी प्राणवायु ही खींच ली।

👉 भावार्थ: पूतना वध इस बात का प्रतीक है कि कृष्ण का जन्म ही बुराई के विनाश के लिए हुआ है।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


2️⃣ शकटासुर वध – अहंकार का अंत 🛢️

नंद उत्सव के दौरान एक दिन माता यशोदा ने कृष्ण को एक बैलगाड़ी (शकट) के नीचे सुला दिया। उसी समय शकटासुर नामक राक्षस उस शकट में समा गया था। बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही अपने पैर के स्पर्श से उस शकट को उलट दिया और शकटासुर का अंत हो गया।

👉 भावार्थ: यह लीला बताती है कि भगवान बाल रूप में भी संसार के महान संकटों को समाप्त कर सकते हैं।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


3️⃣ त्रिणावर्त वध – दृष्टिकोण का परिष्कार 🌪️

त्रिणावर्त एक धूल भरी आँधी बनकर आया और कृष्ण को उठाकर आसमान में ले जाने लगा। लेकिन कुछ ही क्षणों में बालक कृष्ण उसके गले में बैठ गया और उसका दम घुटने लगा। अंततः त्रिणावर्त धरती पर गिरकर समाप्त हुआ।

👉 भावार्थ: यह लीला हमारे दृष्टिकोण को शुद्ध करने की सीख देती है — जब हम अहंकार से ऊपर उठते हैं, तभी ईश्वरीय दर्शन संभव होते हैं।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


4️⃣ उखल बंधन और यमलार्जुन मोक्ष – दया का दर्शन 🌳

एक बार श्रीकृष्ण मक्खन चोरी करते हुए पकड़े गए और यशोदा माँ ने उन्हें ऊखल (चक्की) से बाँध दिया। फिर भी बालक कृष्ण उसी ऊखल को लेकर यमलार्जुन वृक्षों के बीच से निकल गए और वे वृक्ष टूटकर गिर पड़े। उनमें से दो देवता (नलकूबर और मणिग्रीव) मुक्त हो गए।

👉 भावार्थ: यह दर्शाता है कि भगवान केवल बंधन में नहीं बंधते, बल्कि दूसरों को भी बंधन से मुक्त करते हैं।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


5️⃣ माखन चोरी – प्रेम और लीलाओं का प्रतीक 🍯

कृष्ण का बचपन "माखनचोर" के रूप में प्रसिद्ध है। वे गोकुल की गलियों में अपने सखाओं के साथ जाकर मक्खन चुराते थे और ग्वालिनों की शिकायतों के बाद भी यशोदा माँ उन्हें दंड नहीं दे पाती थीं।

👉 भावार्थ: यह लीला आत्मीयता और स्नेह का प्रतीक है — जहाँ चोरी भी प्रेम का माध्यम बन जाती है।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


6️⃣ कालिया नाग मर्दन – विष से मुक्ति का प्रतीक 🐍

यमुना नदी में कालिया नामक विषैला नाग वास करता था। एक दिन बालक कृष्ण ने यमुना में कूदकर उससे युद्ध किया और उसके फन पर नृत्य करते हुए उसे पराजित कर दूर भेज दिया।

👉 भावार्थ: कालिया नाग मर्दन मन के विष को समाप्त करने और पवित्रता की स्थापना का संकेत है।

श्रीकृष्ण बाल लीलाएँ: पूतना वध से मक्खन चोरी तक


7️⃣ गोवर्धन लीला की भूमिका 🙏

हालाँकि यह लीला थोड़ी बाद की है, परंतु श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में इसका बीज बाल्यकाल में ही पड़ता है। वे अपने साथियों को सिखाते हैं कि इंद्र के क्रोध से डरने की आवश्यकता नहीं, आत्मबल से बड़ा कोई बल नहीं।

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📚 समापन विचार:

श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ केवल पौराणिक कहानियाँ नहीं, बल्कि वे जीवन के हर पहलू — संघर्ष, प्रेम, दया, साहस और भक्ति — को दर्शाती हैं। ये लीलाएँ आज भी हर युग के लिए प्रासंगिक हैं।

➡️ पिछली पोस्ट पढ़ें: "वृंदावन के प्रमुख स्थल – रासलीला, निधिवन और प्रेम मंदिर यात्रा गाइड"

वृंदावन यात्रा गाइड: रासलीला, निधिवन और प्रेम मंदिर

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जय श्रीकृष्ण! 🙏

Posted By : Manoj Dubey 


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