श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3: श्लोक 21-30 का सरल हिंदी अनुवाद व व्याख्या | कर्मयोग का गहरा रहस्य

 श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3: श्लोक 21-30 का सरल हिंदी अनुवाद व व्याख्या | कर्मयोग का गहरा रहस्य

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3: श्लोक 21-30 का सरल हिंदी अनुवाद व व्याख्या | कर्मयोग का गहरा रहस्य


श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 – कर्मयोग (श्लोक 21 से 30)

परिचय:

कर्मयोग — केवल कर्म करना ही नहीं, बल्कि उसे समर्पण और विवेक के साथ करना।

इस भाग में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्म की प्रेरणा देने वाले लोगों के लिए आदर्श बनने, भ्रम का त्याग करने, और परमेश्वर में समर्पण की आवश्यकता को समझा रहे हैं।

यहाँ हम जानेंगे कैसे एक ज्ञानी भी कर्म करता है, और क्यों निष्काम भाव से कर्म करना जीवन का सार है।

हर श्लोक में जीवन को सही दिशा देने वाली अमूल्य सीख छुपी है।

---

श्लोक 21

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

हिंदी अनुवाद:

श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है, अन्य लोग भी वैसे ही करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण स्वरूप करता है, वही समाज का आदर्श बनता है।

सरल व्याख्या:

ज्ञानी के कर्मों का असर पूरे समाज पर पड़ता है, इसलिए उसका आचरण सोच-समझकर होना चाहिए।

---

श्लोक 22

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।

नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि॥

हिंदी अनुवाद:

हे पार्थ! मुझे तीनों लोकों में कोई कर्तव्य नहीं है, फिर भी मैं कर्म करता हूँ।

सरल व्याख्या:

भगवान को कुछ चाहिए नहीं, फिर भी वे कर्म करते हैं – ताकि दूसरों को प्रेरणा मिले।

---

श्लोक 23

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः।

मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः॥

हिंदी अनुवाद:

यदि मैं कर्म न करूँ, तो लोग मेरा ही अनुकरण करेंगे।

सरल व्याख्या:

श्रेष्ठ लोगों का आचरण ही दुनिया का मार्गदर्शक होता है।

---

श्लोक 24

उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्।

सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमा: प्रजा:॥

हिंदी अनुवाद:

यदि मैं कर्म न करूँ, तो यह लोक नष्ट हो जाएँगे और मैं प्रजाओं को हानि पहुँचाऊँगा।

सरल व्याख्या:

श्रेष्ठजनों का कर्म न करना संसार में अराजकता ला सकता है।

---

श्लोक 25

सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत।

कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम्॥

हिंदी अनुवाद:

अज्ञानी फल की इच्छा से कर्म करता है, ज्ञानी भी समाज की भलाई के लिए वैसे ही करे — लेकिन बिना आसक्ति के।

सरल व्याख्या:

ज्ञानी समाज के लिए कर्म करे ताकि अज्ञानी उससे प्रेरणा लें।

---

श्लोक 26

न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम्।

जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्त: समाचरन्॥

हिंदी अनुवाद:

ज्ञानी को अज्ञानी लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें कर्म में लगाए रखना चाहिए।

सरल व्याख्या:

ज्ञानी प्रेमपूर्वक मार्ग दिखाए, अज्ञानी का मज़ाक न बनाए।

---

श्लोक 27

प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।

अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते॥

हिंदी अनुवाद:

प्रकृति के गुण ही सब कर्म करते हैं, पर अहंकार से मोहित व्यक्ति सोचता है कि "मैं ही करता हूँ।"

सरल व्याख्या:

हम कर्ता नहीं हैं, यह सब प्रकृति के गुणों का खेल है।

---

श्लोक 28

तत्त्ववित्तु महाबाहो गुणकर्मविभागयोः।

गुणा गुणेषु वर्तन्त इति मत्वा न सज्जते॥

हिंदी अनुवाद:

तत्वज्ञानी जानता है कि गुण ही गुणों में कर्म कर रहे हैं, इसलिए वह आसक्त नहीं होता।

सरल व्याख्या:

ज्ञानी कर्म करता है लेकिन उसमें आसक्त नहीं होता।

---

श्लोक 29

प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः सज्जन्ते गुणकर्मसु।

तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत्॥

हिंदी अनुवाद:

प्रकृति से मोहित लोग कर्मों में ही रमे रहते हैं; ज्ञानी को उन्हें विचलित नहीं करना चाहिए।

सरल व्याख्या:

ज्ञानी को धैर्य से मार्गदर्शन करना चाहिए, न कि आलोचना।

---

श्लोक 30

मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।

निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः॥

हिंदी अनुवाद:

सभी कर्म मुझे अर्पण करके, निराशा, ममता और चिंता छोड़कर कर्म करो।

सरल व्याख्या:

भगवान में समर्पण करके कर्म करना ही सच्चा कर्मयोग है।

--- चाहें आप कितने कठिन दौर से गुजर रहे हो। कोई रास्ता दिखाई ना दे तो ऐसे में आपको श्री हनुमान जी की शरण में जाना चाहिए। और श्री हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और श्री हनुमान चालीसा का पाठ रोज पढ़े। धन्यवाद 🙏

https://manojdubeymathura.blogspot.com/2025/04/hanuman-chalisa-hindi-arth-vyakhya.html


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Freelancing में AI Tools का उपयोग – ChatGPT से आर्टिकल लिखकर पैसे कैसे कमाएँ (2025 Guide)

हनुमान चालीसा संपूर्ण पाठ हिंदी अर्थ और व्याख्या सहित

Motion and Measurement in Hindi – गति और मापन की सरल व्याख्या (Class 6 to 10)