भगवद्गीता अध्याय 1 (श्लोक 1-10) | अर्जुन विषाद योग | हिंदी अनुवाद व सरल अर्थ

 भगवद्गीता अध्याय 1 (श्लोक 1-10) | अर्जुन विषाद योग | हिंदी अनुवाद व सरल अर्थ

श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे हैं - श्लोक 1से 10 का हिंदी अनुवाद


भगवद्गीता अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग

(श्लोक 1 से 10 तक - सरल हिंदी अनुवाद और अर्थ)

अध्याय 1 का परिचय:

अर्जुन विषाद योग में महाभारत युद्ध के प्रारंभिक क्षणों का वर्णन है, जब अर्जुन युद्ध भूमि में अपने सगे संबंधियों को देखकर मोह और विषाद में पड़ जाते हैं। श्रीकृष्ण आगे उन्हें धर्म का सही मार्ग बताएंगे।

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श्लोक 1

धृतराष्ट्र उवाच —

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥ 1

हिंदी अनुवाद:

धृतराष्ट्र बोले — हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?

सरल अर्थ:

धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं कि कुरुक्षेत्र में जब कौरव और पाण्डव युद्ध के लिए तैयार हुए, तो वे क्या कर रहे थे।

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श्लोक 2

सञ्जय उवाच

दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।

आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्॥ 2॥

हिंदी अनुवाद:

संजय बोले — हे राजा! उस समय राजा दुर्योधन ने पाण्डवों की सेना को सुसज्जित देखकर अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास जाकर ये वचन कहे।

सरल अर्थ:

संजय बताते हैं कि पाण्डवों की सेना को देखकर दुर्योधन घबराया और अपने गुरु द्रोणाचार्य से बातचीत करने गया

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श्लोक 3

**पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।

व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता॥ 3॥

हिंदी अनुवाद:

दुर्योधन बोला — आचार्य! देखिए पाण्डु पुत्रों की विशाल सेना, जिसे आपके ही बुद्धिमान शिष्य धृष्टद्युम्न ने सजाया है।

सरल अर्थ:

दुर्योधन पाण्डवों की विशाल और अच्छी तरह व्यवस्थित सेना को देखकर चिंता जताता है।

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श्लोक 4

**अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।

युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः॥ 4॥

हिंदी अनुवाद:

यहाँ (पाण्डवों के पक्ष में) भीम और अर्जुन जैसे महान धनुर्धर योद्धा, युयुधान, विराट और महारथी द्रुपद भी उपस्थित हैं।

सरल अर्थ:

दुर्योधन पाण्डव पक्ष के प्रमुख वीरों के नाम गिनाते हैं।

अर्जुन युद्ध से संकोच कर रहे हैं - भगवद्गीता के श्लोक 1 से 10 की व्याख्या


श्लोक 5

**धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।

पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः॥ 5॥

हिंदी अनुवाद:

धृष्टकेतु, चेकितान, बलवान काशिराज, पुरुजित, कुन्तिभोज और श्रेष्ठ योद्धा शैब्य भी वहाँ मौजूद हैं।

सरल अर्थ:

दुर्योधन कहता है कि पाण्डव पक्ष में कई और भी बलशाली और महान योद्धा हैं।

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श्लोक 6

**युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।

सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः॥ 6॥

हिंदी अनुवाद:

पराक्रमी युधामन्यु, बलवान उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र — ये सभी महारथी हैं।

सरल अर्थ:

दुर्योधन पाण्डव पक्ष के अन्य प्रसिद्ध योद्धाओं का भी उल्लेख करता है, जो अत्यंत शक्तिशाली हैं।

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श्लोक 7

**अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।

नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते॥ 7॥

हिंदी अनुवाद:

हे ब्राह्मणश्रेष्ठ (द्रोणाचार्य)! अब आप मेरे पक्ष के मुख्य-मुख्य योद्धाओं को जानिए, जिन्हें मैं आपके परिचय के लिए बताने जा रहा हूँ।

सरल अर्थ:

अब दुर्योधन अपने सेनापतियों और प्रमुख योद्धाओं की गिनती करना शुरू करता है।

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श्लोक 8

**भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।

अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च॥ 8॥

हिंदी अनुवाद:

आप स्वयं, भीष्म, कर्ण, संग्राम में विजयी कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भी मेरी सेना के प्रमुख योद्धा हैं।

सरल अर्थ:

दुर्योधन अपने पक्ष के प्रमुख योद्धाओं जैसे भीष्म पितामह, कर्ण और अश्वत्थामा के नाम गिनाता है।

भगवद्गीता के श्लोक 1 से 10 का सरल हिंदी अनुवाद और अर्थ


श्लोक 9

**अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।

नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः॥ 9॥

हिंदी अनुवाद:

और भी अनेक पराक्रमी योद्धा मेरे लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तैयार हैं, जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से युक्त और युद्ध में निपुण हैं।

सरल अर्थ:

दुर्योधन कहता है कि उसकी सेना में कई अन्य बहादुर योद्धा भी मौजूद हैं, जो युद्ध के लिए पूर्णतः तैयार हैं।

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श्लोक 10

**अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।

पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥ 10॥

हिंदी अनुवाद:

हमारी सेना भीष्म द्वारा रक्षित होते हुए भी अपर्याप्त जान पड़ती है, जबकि उनकी सेना भीम द्वारा रक्षित होते हुए पर्याप्त है।

सरल अर्थ:

दुर्योधन अपनी सेना की मजबूती को लेकर थोड़ा असमंजस में है और पाण्डवों की सेना को शक्तिशाली मानता है।

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निष्कर्ष:

अर्जुन विषाद योग के पहले 10 श्लोकों में धृतराष्ट्र की जिज्ञासा, पाण्डवों और कौरवों की सेनाओं का परिचय, और दुर्योधन की चिंतारणनीति का प्रारंभिक संकेत मिलता है। युद्ध का माहौल गहराने लगता है।

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