श्रीमद्भगवतगीता अध्याय 1 - श्लोक 11 से 25 तक ( हिंदी अर्थ व सरल व्याख्या )

श्रीमद्भगवतगीता अध्याय 1 - श्लोक 11 से 25 तक ( हिंदी अर्थ व सरल व्याख्या ) परिचय: यह ब्लॉग श्रृंखला श्रीमद्भगवद्गीता के हर श्लोक का क्रमवार हिंदी अनुवाद और व्याख्या प्रस्तुत करती है। यह श्लोक केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के गहरे ज्ञान का स्रोत हैं। हर पोस्ट में 10-15 श्लोक शामिल होंगे, जिससे पाठक धीरे-धीरे गहराई से समझ सकें। आज के भाग में अध्याय 1 के श्लोक 11 से 25 तक प्रस्तुत किए जा रहे हैं। --- श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 1 (श्लोक 11 से 25 तक) --- श्लोक 11 अयं चायन: सर्वेषु यथाभागमवस्थित: | भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्त: सर्व एव हि || हिंदी अनुवाद : हे राजा! आपकी सेना के सभी योद्धा अपने-अपने स्थान पर स्थित होकर भीष्म पितामह की रक्षा करें। व्याख्या: दुर्योधन जानता था कि युद्ध में सबसे बड़ा सहारा भीष्म हैं। वह चाहता था कि वे किसी भी कीमत पर सुरक्षित रहें, इसलिए उसने यह विशेष आदेश दिया। --- श्लोक 12 तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्ध: पितामह: | सिंहनादं विनद्योच्चै: शंखं दध्मौ प्रतापवान् || हिंदी अनुवाद: कौरवों में वृद्ध, पराक्रमी भीष्म पितामह ने दुर्योधन का उत्साह बढ़ाते हुए सिंहनाद के...